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वक्री ग्रह

भोजराज द्विवेदी

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9934
आईएसबीएन :9788171827657

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘‘दैवज्ञ शिरोमणि डॅा० भोजराज द्विवेदी ज्योतिष, मंत्रा तंत्रा व अध्यात्म विद्या के जाने-माने लेखक, लब्ध् प्रतिष्ठित पत्राकार व भविष्य वक्ता हैं। एम.ए. संस्कृत दर्शन प्रथम श्रेणी में रहकर सर्वोच्च अंक लिए तथा सम्प्रति जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर मे ही वराहमिहिर ज्योतिष को लेकर शोधकार्य कर रहे हैं। ज्योतिष विषय को लेकर ‘अज्ञात-दर्शन’ नामक एक समाचार-पत्र का सम्पादन गत 17 वर्षों से कर रहे हैं। ज्योतिष में आपको ढेरो मानपत्रा अनेक स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुके हैं तथा कई नागरिक अभिनंदन हो चुके हैं। आपको केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्री श्री माखनलाल फोतेदार द्वारा डॉक्टर ऑफ ऐस्ट्रोलोजी की उपाधि मिल चुकी है तथा पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा अंग वस्त्रा, मुकुट एवं स्वर्ण पदक भी प्रदान किया गया। आप देश-विदेश के अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की अध्यक्षता भी कर चुके हैं तथा सिंगापुर, हांगकांग, अबूधबी, दुबई, शारजाह एवं अनेक मुस्लिम राष्ट्रों की भी यात्रा कर चुके हैं। ज्योतिष विषय को लेकर पचास से अधिक रेडियो वार्ता, एक हजार लेख व डेढ़ हजार से अधिक भविष्यवाणिया प्रकाशित होकर सत्य प्रमाणित हो चुकी हैं। ज्योतिष-क्षेत्रा में अपने दर्जनों स्तरीय पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से एक यह दुर्लभ पुस्तक आपके हाथों में है।’’

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